⏩ रक्षाबंधन भारत में एक पारंपरिक त्योहार के रूप में मनाया जाता है जो भाइयों और बहनों के बीच प्यार और सुरक्षा के बंधन का प्रतीक है। "रक्षा बंधन" शब्द का अंग्रेजी में अनुवाद "सुरक्षा का बंधन" है। यह आमतौर पर हिंदू माह श्रावण की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त में पड़ता है।
⏩ रक्षाबंधन के दौरान, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर एक सजावटी धागा बांधती हैं जिसे "राखी" के नाम से जाना जाता है। यह कृत्य अपने भाई की भलाई और सुरक्षा के लिए बहन के प्यार और प्रार्थना को दर्शाता है। बदले में, भाई अपनी बहनों को उपहार या सराहना के प्रतीक देते हैं और जीवन भर उनकी देखभाल और सुरक्षा करने का वादा करते हैं।
⏩ यह त्योहार जैविक भाई-बहनों से आगे बढ़कर चचेरे भाई-बहनों, दोस्तों और यहां तक कि पड़ोसियों तक भी फैलता है, जो प्यार, देखभाल और सुरक्षा के सार्वभौमिक विषय पर जोर देता है। यह एक ऐसा दिन है जो परिवार के सदस्यों और प्रियजनों के बीच मजबूत भावनात्मक संबंध को मजबूत करता है, एकता और सद्भाव को बढ़ावा देता है।
⏩ रक्षाबंधन हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भाई की कलाई पर बांधे जाने वाले इन्हीं कच्चे धागों से पक्के रिश्ते बनते हैं। पवित्रता तथा स्नेह का सूचक यह पर्व भाई-बहन को पवित्र स्नेह के बंधन में बांधने का पवित्र एवं यादगार दिवस है। इस पर्व को भारत के कई हिस्सों में श्रावणी(रक्षाबंधन) के नाम से जाना जाता है।
⏩ बहुत से ऐसे लोग हैं जिनको ये पता भी नहीं होगा कि रक्षाबंधन को हम लोग गुरुपूर्णिमा, नारियल पूर्णिमा, और जनेऊ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है , जिसमे इसको पश्चिम बंगाल में ‘गुरु महापूर्णिमा’, दक्षिण भारत में ‘नारियल पूर्णिमा’ और नेपाल में इसे ‘जनेऊ पूर्णिमा’ बोला जाता है!
⏩ राखी का त्योहार हिन्दू पंचांग के अनुसार हर वर्ष सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के सौहार्दपूर्ण रिश्ते की याद दिलाता है। इस दिन बहनें भाई के तिलक करके उसके राखी बांधकर लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई अपनी बहनों की प्रतिष्ठा की सदा रक्षा करने का वचन देता है , इस त्योहार के पीछे कुछ कथाएं भी जुड़ी हुई हैं आइए जानते हैं कैसे रक्षाबंधन की शुरुआत हुई...!
⏩ एक कहानी के अनुसार कहा जाता है कि प्राचीन समय में एक बार जब दैत्यों के राजा बलि ने देवताओं पर आक्रमण किया था तब इसे देख देव इंद्र की पत्नी सची काफी परेशान हो गईं थीं। राजा बलि द्वारा देवगणों को परेशान करता देख और इस युद्ध में देवताओं की विजय के लिए सची ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। इसके बाद भगवान विष्णु ने सची को एक धागा देकर कहा कि इसे अपने पति इन्द्र की कलाई पर बांध देना जिससे वह जीत जाएंगे। सची ने विष्णु जी के कहे अनुसार इन्द्र देव की कलाई पर वो धागा बांध दिया और उस युद्ध में उन्होनें राजा बलि को पराजित कर दिया। तभी से मान्यता है कि बहनें अपने भाई की और पत्नियां अपने पति को रक्षा सूत्र बांधकर उनकी लंबी उम्र और विजय की कामना करती हैं।
⏩ दूसरी कहानी ये है की अपनी बुआ के पुत्र शिशुपाल के सौ अपराध पूरे होने के बाद जब श्री कृष्ण उसे मारने के लिए शिशुपाल के साथ युद्ध कर रहे थे तो उस दौरान श्री कृष्ण की तर्जनी उंगली कट जाने के कारण उससे खून बहने लगा। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी के पल्लू का टुकड़ा फाड़कर भगवान कृष्ण के हाथ पर बांध दिया था। उस समय ही श्री कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा करने का वचन दिया। इसके बाद श्री कृष्ण ने अपने इसी वचन के तहत राजा धृतराष्ट्र के दरबार में द्रौपदी के चीरहरण के समय उसके सम्मान की रक्षा की थी। मान्यता है कि तब से यह त्योहार मनाया जा रहा है..!
⏩ रक्षाबंधन का त्योहार क्यों सेलिब्रेट करते हैं , और इसका महत्व क्या है! अगर आपको post अच्छा लगा तो कृपया like ,comment, Share और मेरे Youtube Channel [TechknowTouchwood] को Subscribe करना न भूले!
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